16वीं लोकसभा का आखिरी सत्र खत्म होने के साथ ही भाजपा और पीएमओ चुनावी मोड में आ गए हैं। भाजपा संसदीय दल ने पीएमओ के निर्देशों का हवाला देकर सांसदों से कामों का हिसाब-किताब मांगा है। यह ब्योरा 20 फरवरी तक संसदीय दल और पीएमओ को सौंपना होगा। सांसदों के कामकाज और संसदीय क्षेत्र में सक्रियता के आधार पर पीएमओ रिपोर्ट कार्ड तैयार करेगा। इसी के आधार पर पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में टिकट देने पर फैसला करेगी। सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार की योजनाओं से इतर सांसद निधि और अन्य कामों का ब्योरा भी देना होगा। 3 राज्यों के विधानसभा चुनाव में विधायकों-मंत्रियों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर से हुए नुकसान से भाजपा नेतृत्व ने सबक लिया है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि विस चुनाव में पीएम के नेतृत्व और लोकप्रियता में कमी नहीं दिखी। समीक्षा में पता चला कि मोदी के गुजरात फॉर्मूले के आधार पर मौजूदा विधायकों के टिकट काटते तो तीनों राज्यों में नतीजे अलग होते। गुजरात में मुख्यमंत्री रहते मोदी हर चुनाव में करीब 50% विधायकों की जगह नया चेहरा उतारते थे। 2019 के चुनाव में भी भाजपा नाराजगी झेल रहे सांसदों पर कोई रियायत बरतने के मूड में नहीं है। सांसदों को विकास कार्यों से जुड़ी किताबों और पंफलेट की कॉपी भी मांगी गई हैं।
ब्योरा 20 फरवरी तक संसदीय दल और पीएमओ को सौंपना होगा
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