कैबिनेट ने छोटी कंपनियों (एमएसएमई) में टेक्नोलॉजी अपग्रेड करने के लिए सब्सिडी स्कीम 2019-20 तक के लिए बढ़ा दी है। इसके लिए 2,900 करोड़ रुपए का फंड भी मंजूर कर दिया है।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। इस स्कीम का नाम क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी एंड टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन स्कीम है। इसका मकसद बेहतर टेक्नोलॉजी के जरिए वेस्ट (कचरा) की मात्रा कम करना, डिजाइन, क्लाउड कंप्यूटिंग और पेटेंट में छोटी कंपनियों की मदद करना है। इस स्कीम के तहत छोटी कंपनियों को टेक्नोलॉजी अपग्रेड करने के लिए बैंक या वित्तीय संस्थान से कर्ज लेने पर 15% की सब्सिडी मिलती है। यानी कंपनी का जितना खर्च आएगा, उसका 15% हिस्सा उसे सब्सिडी के रूप में मिलेगा। यह सब्सिडी सिर्फ प्लांट के विस्तार तक सीमित नहीं है, पुरानी मशीनरी को अपग्रेड करने पर भी यह सुविधा मिलती है। इसके लिए एक करोड़ रुपए तक कर्ज की ऊपरी सीमा तय है। महिलाओं, एससी-एसटी और पहाड़ी राज्यों के उद्यमियों के लिए विशेष प्रावधान है। उन्हें ज्यादा सब्सिडी मिलती है।
एमएसएमई को 100 दिनों में 20,900 करोड़ के कर्ज मंजूर:
केंद्र सरकार ने एमएसएमई सेक्टर की सहायता के लिए 100 दिन के कार्यक्रम के तहत 104 जिलों में 20,900 करोड़ रुपए के कर्ज मंजूर किए हैं। कुल 33 लाख सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को कर्ज मुहैया कराया गया है। इनमें से 6.36 लाख एमएसएमई टेक्सटाइल सेक्टर के हैं। 39 जिलों से संबंधित इन एमएसएमई को 6,500 करोड़ रुपए के कर्ज मंजूर किए गए हैं।
वित्तीय सेवाओं के सचिव राजीव कुमार ने बुधवार को यह जानकारी दी। एमएसएमई की सहायता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 100 दिन का यह कार्यक्रम पिछले साल 2 नवंबर को शुरू किया था। साथ ही उन्होंने एमएसएमई के लिए 12 महत्वपूर्ण उपायों की घोषणा की थी। इसमें जीएसटी में रजिस्टर्ड एमएसएमई को विशेष पोर्टल के जरिए एक करोड़ रुपए तक का कर्ज 59 मिनट में मंजूर करने और इस सीमा के भीतर अतिरिक्त कर्ज पर ब्याज में 2% की छूट शामिल है।
इसके लिए 2,900 करोड़ रुपए के फंड को मंजूरी
सब्सिडी के लिए बैंक के जरिए होता है आवेदन
इस स्कीम के तहत सब्सिडी के लिए कंपनी को बैंक या वित्तीय संस्थान के जरिए ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है। बैंक ही यह आवेदन नोडल एजेंसी के पास भेजता है और सब्सिडी की सिफारिश करता है। आवेदन स्वीकार होने पर नोडल एजेंसी से सब्सिडी का पैसा कंपनी के बैंक खाते में आ जाता है।
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